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कि जिन्दा रहूँ ये जतन कर रहा हूँ

आकाश महेशपुरी
आकाश महेशपुरी
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ग़ज़ल/ गीतिका
०००००००००००००००००००००००००००००००
मैं’ चिन्ता का’ ओढ़े कफन कर रहा हूँ
कि जिन्दा रहूँ ये जतन कर रहा हूँ

मैं’ आगे बढ़ूँ सोच मेरी है’ लेकिन
बड़ी तीव्रता से पतन कर रहा हूँ

है’ जिसने मुझे मौत की ये सजा दी
मैं’ कायर उसी को नमन कर रहा हूँ

ते’री बेवफाई का’ बोलो करूँ क्या
कि खुद को उसी में दफन कर रहा हूँ

सभी कह रहे हैं मुझे एक पागल
यूँ’ गम के सहारे गमन कर रहा हूँ

मैं’ छीनी गयी रोटियाँ माँगता जो
भला किस नियम का हनन कर रहा हूँ

कि ”आकाश” पूरी जवानी लुटाकर
मैं’ कितना घटा ये वजन कर रहा हूँ

ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी
०००००००००००००००००००००००००००००००
पता-
वकील कुशवाहा ‘आकाश महेशपुरी’
ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान, जनपद- कुशीनगर. (उत्तर प्रदेश)
09919080399

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