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भोजपुरी कविता- पढ़बअ ना पछतायेक परी

आकाश महेशपुरी
आकाश महेशपुरी
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पढ़बअ ना पछतायेक परी
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दर-दर ठोकर खायेक परी
पढ़बअ ना पछतायेक परी
पढ़ लिख के राजा के होई
ई सोची जीनिगि भर रोई
आइल बाटे नया जमाना
भइल कहाउत बहुत पुराना
कहे इहे अब सउसे टोला
पढ़े उहे बस राजा होला
अनपढ़ कइसे राजा होई
दुसरे के बस्ता जब ढोई
इस्कूली में जा ये बाबू
विद्या में असली बा काबू
विद्या के तू यार बना लअ
हक वाला हथियार बना लअ
आवारा के संघत छोड़अ़
शिक्षा से बस नाता जोड़अ
मनवा के नाहीं भटकइबअ
काहें ना नोकरी तू पइबअ
नोकरी का! डी यम हो जइबअ
पढ़बअ तअ सी यम हो जइबअ
पढ़-लिख के खेतियो जे करबअ
सबसे बेसी पइसा झरबअ
बिजनस या दोकानोदारी
पढ़ी उहे बस बाजी मारी
गाँव नगर में इज्जत पाई
पढ़ी उहे दुनिया में छाई
कदम कदम पअ कामे आई
पढ़बअ ऊ बाँवे ना जाई
छुछनरई येही से छोड़अ
विद्या धन से नाता जोड़अ
गलत-सलत से ध्यान हटा के
अच्छाई के पास बुला के
बाबू हो तू नाव कमा लअ
गाँव-नगर में धाक जमा लअ

कविता- आकाश महेशपुरी
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पता-
वकील कुशवाहा ‘आकाश महेशपुरी’
ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान, जनपद- कुशीनगर, उत्तर प्रदेश

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