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ग़ज़ल- अगर इतरा रहे हो तुम…

आकाश महेशपुरी
आकाश महेशपुरी
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ग़ज़ल- अगर इतरा रहे हो तुम…

अगर इतरा रहे हो तुम जो अपनी शान के आगे
चलेगी एक तेरी क्या समय बलवान के आगे

ये माना आसमाँ का भी तूँ सीना चीर सकता है
मगर तूँ जा नहीँ सकता कभी शमशान के आगे

ग़मोँ के आँधियोँ मेँ भी खुशी के सिलसिले देखो
कि ग़म टिकता कहाँ कोई तेरी मुस्कान के आगे

हमारा यार होता तो सभी दुखड़े सुना देता
मगर अच्छा नहीँ लगता किसी अनजान के आगे

अगर वो जा चुका है तो महज रोना है हाथोँ मेँ
तुम्हारा वश चलेगा क्या कभी भगवान के आगे

जड़ेँ ‘आकाश’ होतीँ हैँ तभी ये फूल खिलते हैँ
मगर वो भूल जाता है जरा पहचान के आगे

ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri

पता-
वकील कुशवाहा ‘आकाश महेशपुरी’
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399

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