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गीत- दिल खेलोँ का मैदान है
* * * * *
भोली सी सूरत है मेरी सीधी सी पहचान है
खेलो जितना जी चाहे दिल खेलोँ का मैदान है
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दुनिया कैसे मुझको जाने
ये तो बस मौका पहचाने
रहता हूँ छप्पर के नीचे
सच्चाई की चादर ताने
शायद वजह यही है मुझसे हर कोई अनजान है-
खेलो जितना जी चाहे दिल खेलोँ का मैदान है…
॰॰॰
तुम तो पीछे पड़ जाते हो
जिद पे अपनी अड़ जाते हो
देख हमारी हालत पतली
सीधे सीधे लड़ जाते हो
तेरे कारण मेरे भीतर भी उमड़ा तूफान है-
खेलो जितना जी चाहे दिल खेलोँ का मैदान है…
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करते थे तुम बातेँ प्यारी
करनी थी तुमको गद्दारी
संग रहा मेरे तूँ अबतक
मतलब जाते टूटी यारी
साथ निभाना मुश्किल है बस कह देना आसान है-
खेलो जितना जी चाहे दिल खेलोँ का मैदान है…
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मान लिया धन लाख नहीँ है
तेरे जैसी साख नहीँ है
जो अभिमानी थे दुनिया मेँ
उनकी भी तो राख नहीँ है
क्या इतराना भाई इस पर नन्हीँ सी तो जान है-
खेलो जितना जी चाहे दिल खेलोँ का मैदान है…
गीत- आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
महेशपुर, कुबेरस्थान,
कुशीनगर, उत्तर प्रदेश
09919080399
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