आकाश महेशपुरी
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ग़ज़ल- हमेँ भी तो खज़ाने का…
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हमेँ भी तो खज़ाने का ज़खीरा मिल गया होता
अगर जो बेईमानी का किया कुछ हौसला होता
वो मेरा हमसफर शायद नहीँ ऐसे खफा होता
कि होता पास जो पैसा नया ही सिलसिला होता
ग़रीबी के वजह से दब गई है जिन्दगी मेरी
ये वरना कामयाबी से न इतना फासला होता
अगर जिन्दा रहेँ अच्छा मरेँ तो भी न हो मुश्किल
कि मुश्किल है, नहीँ जब जिन्दगी का फैसला होता
सितमगर है मगर फिर भी मेरी यादोँ मेँ रहता है
वो दिल को चोट देकर भी नहीँ दिल से जुदा होता
मेरी ये जिन्दगी शायद नया रुख दे भी सकती थी
अगर ‘आकाश’ हमको भी कोई मौका मिला होता
ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
9919080399
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